परिवहन विभाग की प्रवर्तन शाखा द्वारा महाराष्ट्र के एक ट्रक को एनजीटी/ उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली की सड़को पर डीजल इंजन के 10 साल पूरे कर चुके वाहनों के चलने की पाबंदी के आधार पर जब्त कार चालान काट कर जिला मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। जिस पर जिला मजिस्ट्रेट ने वाहन चालक पर 10000 रू का जुर्माना लगाया जिसे वाहन मालिक द्वारा भर दिया गया जिसके उपरान्त जिला मजिस्ट्रेट रोहिणी नेहा पांडेय द्वारा लिखित आदेश पारित किया गया की परिवहन विभाग इस ट्रक नंबर MH 04 GC 1844 को वाहन मालिक/ चालक/ अधिकृत व्यक्ति को सुपुर्द कर दे पर प्रवर्तन शाखा के अधिकारी द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के लिखित आदेश प्राप्त करने के बाद भी ट्रक को नही छोड़ा गया और पूर्ण जानकारी प्राप्त करने पर बताया कि प्रवर्तन शाखा प्रमुख और परिवहन विभाग में विशेष परिवहन आयुक्त पर विराजमान अधिकारी शहजाद आलम के द्वारा जारी आदेश के बिना वह किसी भी आदेश पर ट्रक नहीं छोड़ेंगे।
विशेष परिवहन आयुक्त के पास ट्रक को छोड़ने की लिखित प्रार्थना लगाने के कई दिनों बाद यह पता चला की जिला मजिस्ट्रेट इस प्रकार वाहन छोड़ने के लिए परिवहन विभाग को आदेश पारित नहीं कर सकता और साथ ही वाहन मालिक द्वारा अधिकृत व्यक्ति के द्वारा लिखित प्रार्थना पर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष विभाग के द्वारा आदेश प्राप्त करने के बाद भी वाहन नही छोड़ने का पक्ष रखने के उद्देश्य से सरकारी वकील खड़ा करने के लिखित आदेश जारी कर दिए पर उसके बाद परिवहन विभाग द्वारा ना तो कोई वकील कोर्ट में पेश हुआ और ना ही वाहन मालिक को वाहन सुपुर्द किया गया।
आखिर में वाहन मालिक द्वारा अधिकृत व्यक्ति ने न्याय प्राप्त करने हेतु दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख पकड़ा और विशेष परिवहन आयुक्त के खिलाफ अधिवक्ता ध्रुव गौतम के द्वारा केस दर्ज कर न्याय की गुहार लगाई है। अब देखना होगा की दिल्ली उच्च न्यायालय इस केस पर क्या फैसला सुनाती है?
संजय बाटला