दिल्ली: दमघोटू सांसों पर ‘पल्यूशन हाॅलीडे’ नौबत
परिवहन विशेष।एसडी सेठी। राजधानी दिल्ली की साल-दर-साल जहरीली होती सांसों से जूझते लोगों को सरकारी तंत्र के बेतरतीब आसान लाज़वाब नुस्खे जिनमें स्कूलों में छुट्टी,कंस्ट्रक्शन का काम बंद, ऑड-इवन जैसे अस्थाई अप्रभावी निरंतर परम्परा की जगह सबसे मुफीद इलाज ‘पल्यूशन हॉलीडे करने की सलाह सरकार से की जाने लगी है। इनमें दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन, समेत अन्य नागरिक संगठनों ने तो यहां तक कह डाला कि यह तो सरकार का फेल्योर ही माना जाना चाहिए। इसी क्रम में नागरिक अधिकार आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवरत आर्य ने कहा कि सरकार की नौसिखियायी स्कूल, काम बंद करने के तुगलकी ऐलान से आगे स्थाई निदान की जगह कल यह भी कह सकती है कि सांस लेना बंद कर दो। उन्होंने कहा कि एक तरफ गाडियों के लोन को बढावा दिया जा रहा है। इससे घर-घर गाडियों का रेला लग गया है। आये दिन गाडी पार्किंग को लेकर झगडे फसाद यहां तक की मर्डर तक किए जा रहे हैं। जबकि पार्किंग का निदान अब तक नहीं हो सका है। इसी तरह बरवाला पंचायत 360 के संस्थापक और सुप्रीमों राम किशन पूनिया ने सरकार द्वारा स्कूलों की छुट्टी किए जाने पर कहा कि राजधानी दिल्ली के वर्तमान हालात जो पल्यूशन से बने हुए है उसको देखते हुए प्राथमिक/उच्च स्तर के बच्चों की छुट्टी कर दी गई है।यह हर साल की (परंपरा) मामला बन गया है। बच्चौं की छुट्टी करना कोई समाधान नहीं है। उन्होने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण कार्य सिर्फ नाम मात्र का है। कोई भी बच्चा घरों में कैद नहीं रहता। सभी गली कूचों में खेलते -कूदते रहते हैं। पूनिया ने दिल्ली सरकार के फेल्योर पर कहा कि इससे तो बेहतर है कि सरकार द्वारा हर साल ‘पल्यूशन हाॅलीडे’ घोषित कर दिया जाना चाहिए। ताकि प्रतिवर्ष का शिक्षण कार्य का कैलेण्डर उसी हिसाब से बनाया जा सके।