दिल्ली परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा प्रस्तुत कार्यशैली के उदाहरण को सभी सरकारी तकनीकी विभागो को करना चाहिए लागू – संजय बाटला
किसी भी सरकारी विभाग द्वारा जनहित के नाम लेकर जनता के हित के अतिरिक्त कार्य को सम्पन्न करने की इच्छा हो और वह भी नियम, कानून, श्रेष्ठ अदालत, भारत सरकार एवम् राज्य सरकार द्वारा पारित आदेश/ दिशा-निर्देश को दरकिनार कर अपनी सोच के अनुसार उस आदेश दिशा निर्देश की पूर्ति करनी हो तो आप परिवहन आयुक्त के पद पर कार्यरत उनकी कार्यशैली का अनुकरण करे और विश्वास माने आप को ख्याति के साथ सरकारी तन्त्र से मुबारक भी अर्जित होगी।
परिवहन आयुक्त, एवम् विशेष परिवहन आयुक्त दिल्ली तकनीकी पदो पर तकनीकी अधिकारियो से अधिक भरोसा गैर तकनीकी अधिकारियो पर करते है और उन्होने अपनी कार्यकाल में यह सिद्ध कर के सभी तकनीकी कार्यों के विभागो के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है,
भारत देश की राजधानी दिल्ली में परिवहन आयुक्त ने अपने कार्यकाल में यह सिद्ध कर दिखाया की “परिवहन विभाग में तकनीकी अधिकारियो की कोई आवश्यकता नहीं”
जी हां, यह सच है क्योंकि दिल्ली में व्यवसायिक गतिविधियों में शामिल सभी वाहन कार्यालय शाखाओं में आज की तारीख में सभी प्रमुख पदों पर (सीएमवीआई, डीटीओ) गैर तकनीकी अधिकारियो को नियुक्त कर सर्वश्रेष्ठ कार्य करवाने का दावा है उनका। दिल्ली के परिवहन विभाग के अंर्तगत :-
13 जिला परिवहन कार्यालय थे जिन में से तत्कालीन परिवहन आयुक्त के कार्यकाल में तीन कार्यालय जनता को सेवा देने के लिए बंद करवाकर अन्य कार्यालयों में मिश्रित कर दिए गए।
1. 10+3 =13, जिला कार्यालय
2. 2 वाहन निरीक्षण कार्यालय
3. 1 आटो+टैक्सी कार्यालय
4. 1 डीटीओ मुख्यालय
5. 1 राज्य परिवहन प्राधिकरण शाखा
6. और अन्य सभी कार्यों की शाखाओं के साथ मुख्यालय
आपकी जानकारी के लिए बता दें दिल्ली में 18 उपरलिखित कार्यालय वह है जहां दिल्ली में वाहन प्रयोग करने वालो का सीधा संबंध पड़ता है और मुख्यालय एवम् अन्य कार्य शाखाओं में लोगों का सीधा संबंध कम रहता/पड़ता है।
अब आप को बताते हैं किस किस कार्यालय में तत्कालीन परिवहन आयुक्त ने कार्य भार संभालने के बाद तकनीकी अधिकारी को हटाकर गैर तकनीकी अधिकारी को नियुक्त कर दिया :-
13 जिला कार्यालयों में से 7 जिला परिवहन कार्यालयो में डीटीओ पद पर गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त है,
2 वाहन निरीक्षण कार्यालयों में सीएमवीआई गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त है,
1 आटो-टैक्सी कार्यालय में डीटीओ के पद पर गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त है,
1 डीटीओ मुख्यालय में डीटीओ के पद पर गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त है और
1. राज्य परिवहन प्राधिकरण शाखा में भी गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त है। यानी जनता से सीधे तौर पर कार्यरत 18 कार्यालयों में से 12 कार्यालयों में मुख्य पद पर गैर तकनीकी अधिकारी नियुक्त
दिल्ली की जनता, दिल्ली सरकार और प्रशासनिक अधिकारी दिल्ली (उपराज्यपाल, मुख्य सचिव) के लिए परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा दिया गया यह एक बड़ा संदेश है :- *”तकनीकी विभाग में तकनीकी अधिकारियो से बेहतर सेवा गैर तकनीकी अधिकारी प्रदान कर सकते है” ) इस कार्यशैली के उदाहरण को देखने के बाद यह सवाल उठता है कि
a) फिर किसी भी तकनीकी पद पर तकनीकी अधिकारियो की आवश्यकता क्यों ?
b) तकनीकी पदो पर जब गैर तकनीकी अधिकारी बेहतर कार्य कर सकते है तो तकनीकी पदो की भर्ती के लिए तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता क्यों, ?
भारत सरकार के माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री एवम् दिल्ली के उपराज्यपाल से ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स एंड लेबर वेलफेयर एसोसिएशन ( टोलवा) के अध्यक्ष की नर्म निवेदन प्रार्थना करते है कृप्या तकनीकी पदो की भर्ती के लिए तकनीकी शिक्षा की अनिवार्यता को समाप्त कर दे क्योंकि परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा यह हम सभी को दिखा दिया गया है की तकनीकी ज्ञान प्राप्त अधिकारियो से बेहतर सेवा/कार्य तकनीकी पदो पर गैर तकनीकी अधिकारी कर सकते है।
संजय बाटला