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पहाड़ी क्षेत्रों में प्रगति के साथ तेज गति लाने के उद्देश्य से शुरू किया रोपवे परिवहन

1.गौरीकुंड- केदारनाथ रोपवे,
2. जम्मू रोपवे,
3. नन्दी हिल्स रोपवे,
4. पर्वतमाला स्कीम,
5. सोनप्रयाग-गोरीकुंड-केदारनाथ रोपवे,
6. वाराणसी रोपवे।
7. देहरादून-मंसूरी रोपवे

1.गौरीकुंड- केदारनाथ रोपवे :- केदारनाथ धाम जाने वाले यात्रियों के लिये अच्छी खबर, आगामी सालों में केदारनाथ धाम जाने वाले यात्रियों को वहा रोप-वे की सुविधा मिल पायेगी. इसी साल से रोप-वे निर्माण की प्रक्रिया प्रशासन स्तर पर शुरू हो गई है. फिलहाल, गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक नौ किलोमीटर रोप-वे लाइन का निर्माण किया जा रहा है। नौ किलोमीटर लंबी इस रोप-वे लाइन का निर्माण लगभग नौ सौ करोड़ की लागत से पूरा होगा। नौ किलोमीटर की दूरी यात्री 35 से 40 मिनट के भीतर तय पाएंगे अभी यह दूरी पैदल तय करते आठ से दस घंटे लग जाते हैं

2. जम्मू रोपवे (कटरा-सांझीछत) :- भक्तों को इससे समय की बचत होगी और महज 5 से 6 मिनट में कटरा स्थित बेस कैंप तारकोट से सांझी छत पहुंच जाएंगे।

3. नन्दी हिल्स रोपवे :- यह रोपवे 2.93 किलोमीटर का है इस रोपवे के शुरू होने से पर्यटक नन्दी हिल्स की तलहटी से चोटी तक मात्र 15 मिनट में पहुंच जाएंगे।

4. पर्वतमाला स्कीम:- पर्वतमाला योजना योजना हिमाचल प्रदेश के
60 कि.मी की लंबाई के रोप-वे को बनवाने की घोषणा वित्त मंत्रालय द्वारा की गई। इस योजना को शुरू किया जा रहा है क्योंकि रोड पर ट्रैफिक हो जाता है उसे कम किया जा सके।
पर्वतमाला योजना के लिए सरकार की ओर से एक बजट तैयार किया गया है उसी के अंतर्गत इसपर काम किया जाएगा। पर्वतमाला योजना हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कनेक्टिविटी को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही हैं क्योंकि वहां पर रोड ही साधन है। लेकिन इसके बाद रोप-वे भी आने जाने का जरिया होगा। जिसके जरिए लोग अपने काम को आसानी से कर पाएंगे और समय पर उन्हें जरूरी चीजें प्राप्त हो पाएगी। इसी को ध्यान में रखते हुए इस योजना को शुरू किया गया है।

5. सोनप्रयाग-गौरीकुंड-कैदारनाथ :- यह रोपवे 13 किलोमीटर लम्बा है और इससे भक्तों का सफर समय काफी कम हो जाएगा।

6. वाराणसी रोपवे:- वाराणसी में काशी विश्वनाथ का सफर अब होगा आसान। रोपवे के तैयार हो जाने से इसकी दूरी घटकर 3.8 किमी हो जाएगी और इसे करीब 50 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जाएगा. यह रोपवे बनने के बाद लोग कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक 16 मिनट में पहुंच सकेंगे। इस प्रोजेक्ट में तेजी आए इस कारण यूटिलिटी शिफ्टिंग के लिए 6 विभागों को 31 करोड़ रुपये अलॉट कर दिए गए हैं।

7. देहरादून-मंसूरी रोपवे:- वर्ष 2026 तक देहरादून-मसूरी के बीच आवागमन के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। एफआइएल इंडस्ट्रीज के नेतृत्व वाले मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने दोनों नगरों के बीच रोपवे परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। लंबाई के नजरिये से यह विश्व के पांच सबसे लंबे मोनो-केबल रोपवे सिस्टम में से एक होगा। देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के निर्माण की अनुमानित लागत करीब 300 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में एसआरएम इंजीनियरिंग एलएलपी के साथ पोमा एसएएस फ्रांस की कंपनी तकनीकी पार्टनर है।

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