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चुनावी प्याज भाव से फिर बरपा राजनीतिक खेल

परिवहन विशेष। एसडी सेठी-5 राज्यों के चुनावी भाव ने प्याज पर फिर राजनीतिक खेल शुरू कर वोटरों के आंसू निकाल दिए है। दो दिन पहले तक 20 से 25 के बेभाव में बिकने वाली प्याज के यकदम 120 से 150 रूपये किलो तक पहुंचने से वोटरों की आंखो में पानी लाने का खेल चल रहा है। इससे पहले टमाटर छलांग लगा रहा था। एक जमाने में टमाटर के 40 रूपये किलों तक की ऊंचाई से भाजपा को दिल्ली की सत्ता गवाह पडी थी। दरअसल 5 विधान सभाओं के चुनावो के मद्देनजर जमाखौरों ने कृतिम प्याज की कमी और बढी कीमतों से बेजार वोटरों के मिजाज में तीखा पन ला दिया है। इससे जनता तो परेशान है ही, सत्तारूढ दल के नेता भी बेहाल है। जबकि विपक्ष गदगद । दरअसल विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है। खबर के मुताबिक पिछले हफ्ते तक प्याज 25-30 रूपये प्रति किलो.पर उपलब्ध था।लेकिन महज दो दिनों मे ही बढकर 100 रूपये से 140 रूपये प्रति किलोग्राम हो गया । विशेषज्ञों के मुताबिक इस बेहिसाब प्याज कीमत में उछाल के पीछे मुख्य कारण में प्याज की जमाखोरी है। जिसकी वजह से सप्लाई कम हो गई और कीमते ऐन चुनाव के वक्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। प्याज व्यापारियों ने जमाखोरों को सेफगार्ड पहनाकर आम उपभोक्ता को ही प्याज के आखरी स्टाॅक को जमा करना बता रहे हैं।इससे कमी पैदा हो रही है। और कीमतें बढ रही है। उन्होंने कीमतों पर कंट्रोल करने के लिए तुरंत कदम उठाने की वकालत की है। उनका कहना है कि अगर सरकारी लगाम नहीं लगाए तो प्याज की कीमत 150 रूपये किलों को भी टाप सकती है।
उधर केंद्र सरकार ने भी प्याज निर्यात मूल्य यानि (एमईपी) लगाया है।यह प्रतिबंध 29 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2023 तक प्रभावी रहेगा। वहीं व्यापारियों का कहना है कि प्याज की नई फसल दिवाली के बाद नंवबर के आखरी सप्ताह तक बाजारों मे आ जाएगी। मगर जब तक आम आदमी को जेबें ढीली करनी तो पडेगी ही।

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