सड़कों की आरोही गुणवत्ता अत्यंत निम्नस्तरीय है।
पुलों/पुलियों की हालत अभी भी कमजोर है।
अधिकांश राजमार्गों की कुट्टिक मोटाई अपर्याप्त है।
चेक पोस्टों, चुंगियों तथा रेलवे फाटकों की बड़ी संख्या अभी भी कायम है जो यातायात के प्रवाह को बाधित करती है और उनका समापत होना बाकी है
राजमार्ग अभी भी शहरों के सघन भीड़-भाड़ वाले भागों से होकर गुजर रहे हैं।
सफर के समय मार्ग के दौरान मनोरंजन व अन्य जरूरी सुविधाओं का अभाव है तथा सड़क सुरक्षा उपाय भी अभी तक पर्याप्त नहीं हैं।
राष्ट्रीय राजमार्गों के लगभग 20 प्रतिशत भाग को दो लेन वाले मार्ग में बदलने तथा दो लेने वाले राजमार्गों के 70 प्रतिशत भाग को द्रुत राजमार्ग में बदलने की जरूरत है।
उत्तरी मैदानों में आड़ी-तिरछी बहने वाली अनेक नदियों तथा उनमें आने वाली बाढ़ों (प्रायः वार्षिक) के कारण सड़कों का निर्माण तया रख-रखाव कठिन है उसके लिए ठोस कदम उठाया जाना अभी बाकी है
शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या एवं उसके परिणामस्वरूप आवागमन के लिए निजी वाहनों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अनेक शहरों में वाहन जणित प्रदूषण चेतावनी के स्तर को पार कर चुका है और सड़क क्षमता को बढ़ाना भी लगभग असंभव हो गया है, जबकि वाहनों की संख्या एवं यातायात सुविधाओं की मांग बढ़ती जा रही है।
संजय बाटला